आखिर क्यों आता है Electric Vehicles के वास्तविक रेंज और दावों के बिच अंतर? जानें पूरी डिटेल

Electric Vehicle Real Range Vs Claimed Range: अगर आप भी कोई इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदना चाहते है आपको मन में भी इसके रेंज को लेकर कई सारे सवाल है तो यह पोस्ट आपके लिए है। इस पोस्ट में बताने वाले है की आखिरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने के दौरान कंपनियां बड़े-बड़े रेंज देने का दावा करती हैं लेकिन रोड पर चलाते ही रेंज में कमी आने लगती है। यही जानने वाले है की आखिरकार ऐसा क्यों होता है? कम्पनी दावा कुछ और करती है और होता कुछ और है, इसकी हकीकत क्या है?

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माइलेज में क्यों आता है अंतर

अगर आप भी नए वाहन खरीदे होंगे तो यह बात सबने नोटिस किया होगा की कम्पनी के तरफ से रेंज को लेकर कुछ और दावा रहती है और रोड पर निकलने पर कुछ और हो जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि टेस्टिंग और ऑन रोड कंडीशंस में काफी अंतर होते हैं.

Electric scooter

टेस्टिंग और ऑन रोड कंडीशंस में अंतर

आपको बता दे की टेस्टिंग के दौरान इन सभी इलेक्ट्रिक वाहन की टेस्टिंग एक समतल रोड पर होती है, टेस्टिंग की जगह अपेक्षाकृत खाली होती है। लेकिन जैसे ही यह रोड पर निकलती है इसे रोड पर चलने में कई परेशानियों का समाना करना पड़ता है। गाड़ी को कभी बंद और कभी चालू करना होता है। ऐसा करने से ऑटोमैटिक वाहन की रेंज कम हो जायेंगे। जरुर पढ़ें: Electric Scooter की डीलरशिप कैसे ले? और इवी डीलर कैसे बनें |

वजन में अंतर

गाडियों का जब टेस्टिंग हो रहा होता है तब उसमें कम से कम लाइट्स लगी होती हैं, कम से कम ब्रेक का इस्तेमाल होता है लेकिन लॉन्चिंग के बाद अट्रैक्टिव दिखने के चक्कर में कई प्रकार की लाइट्स से सजाया जाता है। बॉडी डिजाइन को बेहतर बनाया जाता है जिसे वाहन का वजन बढ़ जाता है। इसलिए रेंज में काफी अंतर देखने के मिलता है।

एक उदहारण से समझते है कोई कंपनी अगर इलेक्ट्रिक स्कूटर में 100 से 120 किलोमीटर की रेंज देने को कहती है तो उसे 80 से 90 किलोमीटर की मानकर चलना चाहिए। जरुर पढ़ें: डीजल, पेट्रोल वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहन में कैसे बदले 

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Rajeev Ranjan, an accomplished author and visionary thinker with a B.Tech degree in Electrical Engineering, brings a dynamic blend of technical expertise, unwavering passion for electric vehicles (EVs). Contact: [email protected]

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