सिंथेटिक ई-ईंधन क्या है | What is synthetic e-fuel in Hindi 2023

सिंथेटिक ई-ईंधन क्या है, What is synthetic e-fuel in Hindi, Synthetic e-fuel kya hai, replacement of ev vehicles, How to make Synthetic e-fuel process, replacement of ev vehicles advantages, disadvantages, electric vehicles fuel,

WhatsApp चैनल ज्वाइन करें Join Now

Telegram चैनल ज्वाइन करें Join Now


Synthetic e-fuel Hindi: डीजल पेट्रोल व्हीकल्स से निकलने वाली जहरीला धुंआ हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी घातक है। 21वीं सदी में ग्लोबल वार्मिंग मानव के लिए सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। फैक्ट्री, मोटर व्हीकल्स से निकलने वाली कार्बन मानव स्वास्थ्य के लिए एक चुनौती है। कार्बन के कारण एक से बढ़कर एक नई घातक बीमारी का इजात हो रहा है। कुछ समय पहले ही कनाडा में ‘क्लाइमेट चेंज’ की पहली मरीज की पुष्टि की गई। इस बीमारी का उत्थान भी जहरीली कार्बन से ही हुआ है।

Telegram Group Join Now

पूरे विश्व की अब यह एक कॉमन समस्या है कि कैसे आगे बढ़कर जीरो कार्बन एमिशन मिशन पर काम किया जाए। इसके लिए सभी देशों ने अपना अलग अलग प्रयास भी शुरू कर दिया है। आपको बता दें कि जैसे-जैसे हमारे कार्बन फुटप्रिंट बढ़ रहे हैं मानव जाति के सफल अस्तित्व और ग्रीनहाउस के ऊपर काफी बुरा प्रभाव पर रह है। शोधकर्ताओं ने इस समस्या का सबसे बड़ा कारक ऑटोमोबाइल और परिवहन को बताया है।

यह अब हमारे सामने एक ही विकल्प साफ झलक रहा है और वो है इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का। इवी उद्योग बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (BEV) के साथ इलेक्ट्रिक भविष्य की ओर बढ़ने का एक प्रमुख कारण है। हालाँकि यह बैटरी तकनीक भी हमारे लिए बेहद ही नुकसान देने वाला वाला। यह विकल्प भी आगे चलकर हमारे लिए खतरा बन सकता है। बैटरी व्हीकल्स में लिथियम का यूज़ होता है और लिथियम का खनन का पर्यावरणीय प्रभाव बड़े पैमाने पर है।

इसके अलावा बैटरियों की लाइफ समाप्त हो जाने के बाद इसका व्यवस्थापन भी एक बहुत बड़ा मुद्दा है। खैर बैटरी के अलावा भी हमारे पास एक नया ईंधन का ऑप्शन है जो हमारे वाहनों में बिना कुछ बदलाव किए अपने वर्तमान कारों और बाइक में इस ईंधन का उपयोग कर सकते हैं। इसे ‘सिंथेटिक ई-फ्यूल’ कहा जाता है।  तमाम बड़ी कंपनियां जैसे पोर्श, ऑडी, मर्सिडीज, फेरारी, रेनॉल्ट और मैकलारेन इस ईंधन के व्यवहार्य तरीका खोज निकालने के लिए संसाधनों का निवेश भी कर रही हैं।


What is synthetic e-fuel in Hindi | Synthetic e-fuel advantages, Disadvantages, Proecss, making Cost

तो आइये जानते हैं इस ईंधन ‘सिंथेटिक ई-फ्यूल’ के बारे में आखिर क्या है यह सिंथेटिक ई-फ्यूल (What is Synthetic e-fuel in Hindi) और हमारे इस बढ़ती कार्बन समस्याओं को कैसे  दूर कर सकती हैं। 

Synthetic e-fuel Hindi
Synthetic e-fuel Hindi

सिंथेटिक ई-ईंधन क्या है (What is Synthetic e-fuel Hindi)

Synthetic e-fuel (सिंथेटिक ई-ईंधन) वह उत्पाद है जिसे वायुमंडल में उपलब्ध कार्बन डाइऑक्साइड अणुओं के साथ ईलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया से प्राप्त हाइड्रोजन से मिश्रण किया जाता है। इसके बाद एविएशन केरोसिन जैसा सिंथेटिक फ्यूल तैयार होते हैं जिसे हम अपने वाहनों के लिए ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।

हालांकि यह ईंधन प्राप्त करने की प्रक्रिया सुनने में जितना सिंपल और आसान लग रहा है सिंथेटिक ई-ईंधन की प्रक्रिया उतना ही अधिक कठिन व जटिल है। आइये अब हम जानते हैं आखिर यह सिंथेटिक ई-ईंधन कैसे बनता है और सिंथेटिक ई-ईंधन को बनाने के लिए कौन कौन से प्रोसेस से गुजरना पड़ता है।

सिंथेटिक ई-ईंधन कैसे बनता है? (Process for How to make Synthetic e-Fuel)

जैसा कि मैंने आपको पहले भी बताया सिंथेटिक ई-ईंधन का बनना बहुत ही जटिल प्रक्रिया है। डिफेंस मिनिस्ट्री के कथनानुसार सिंथेटिक UL91 फ्यूल को सबसे पहले जीरो पेट्रोलियम के पानी से हाइड्रोजन और वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड से कार्बन तैयार किया गया था।

इसके बाद उसमें कुछ संसोधन किया गया और फिर नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत जैसे हवा, सौर ऊर्जा की मदद से भी हाइड्रोजन और कार्बन को मिलाकर सिंथेटिक फ्यूल तैयार किया जाने लगा। सिंथेटिक ई-ईंधन बनाने की स्टेप वाइज प्रोसेस नीचे दी गयी है ध्यान से देखें

यह भी पढ़ें: What Is Section 80EEB | आयकर अधिनियम की धारा 80EEB क्या है


सिंथेटिक ई-ईंधन बनाने का प्रोसेस (process to make Synthetic e-fuel)

  • सिंथेटिक ई-ईंधन बनाने की जटिल प्रक्रिया की शुरुआत होती है CO2 के साथ, इस प्रक्रिया के दौरान CO2 को हवा से फँसाना पड़ता है और उसे 1800 डिग्री टेम्परेचर तक गर्म किया जाता है।
  • गर्म होने के बाद ही जाकर यह CO2 के यौगिक कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) में टूटना शुरू कर देते है।
  • इसके बाद कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) को मेथनॉल बनाने के लिए हाइड्रोजन (जिसे खारे पानी से निकाला जाता है) के साथ मिलाया जाता है।
  • इसके बाद जाकर अंत में सिंथेटिक ई-ईंधन प्राप्त होता है। जिसका उपयोग हम अपने ऑटोमोबाइल परिवहन में कर सकते हैं।

अब आप सोच रहे होंगे कि इसकी प्रक्रिया इतनी जटिल है इस सिंथेटिक ई-ईंधन प्राप्त होने के दैरान भी काफी पॉल्युशन वातावरण में फैलेगा। तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं यह ईंधन सिद्धांत रूप में लगभग कार्बन-तटस्थ है क्योंकि यह पवन टरबाइन से उत्पन्न बिजली की मदद से हाइड्रोजन और CO2 निकालता है। इसके अलावा इस पूरी प्रक्रिया के दौरान कोई भी हानिकारक गैस या कोई हानिकारक उत्पाद नहीं मिलता है।

process to make Synthetic e-fuel
credit: repsol.com

Synthetic e-fuel (सिंथेटिक ई-ईंधन) की अपनी ढ़ेर सारी विशेषताएं भी है जो कच्चे तेल की तुलना में समान भौतिक है। अतः इसके परिणामस्वरूप, इसका भंडारण, परिवहन और वितरण बिल्कुल समान रहता है। और आप इस सिंथेटिक ई-ईंधन का इस्तेमाल वाहन में टैंकरों, ईंधन स्टेशनों और यहां तक ​​कि ईंधन टैंक के मौजूदा बुनियादी ढांचे का उपयोग से कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें: क्या है FAME-II सब्सिडी और कैसे मिलेगा फायदा | What Is Fame 2 Subsidy 


सिंथेटिक ई-ईंधन का वर्तमान परिदृश्य | Current Scenario of Synthetic E-Fuel

देखा जाए तो दुनिया अब होड़ मची हुई है इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की तरफ रुख करने का लेकिन यदि इलेक्ट्रिक का भी बहुतायत मात्रा में उपयोग होना आरंभ हो जाये तो कई समस्या खड़ा हो सकता है। इसके कारण बहुत सारे वाहन उपयोग और प्रासंगिकता से बिल्कुल बाहर भी हो सकते हैं।

देखा जाए तो हमें इस बिजली के सपने को साकार करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर लाइन में हो रहे लगातार बदलाव को भी कभी नहीं भूलना चाहिए। इसका मतलब भी एक तरह से ई-ईंधन ही है। लेकिन यदि बात करें आज के उत्पनन हुए Synthetic e-fuel (सिंथेटिक ई-ईंधन) की तो यह हमारे दैनिक जीवन मे कई तरीके से उपयोगी साबित होगा। 

डेली वाहनों को हमलोग इस ईंधन से सीधा ड्राइव कर सकते हैं। इसके लिए हमारे वाहनों में कोई भी अतिरिक्त संशोधन नहीं करना होगा। और तो और इसकी आपूर्ति को बनाये रखने के लिए ईंधन स्टेशनों (Fuel Stations) में भी कोई बदलाव करने की आवश्यकता बिल्कुल भी नहीं है। इसके अलावा ई-ईंधन का इस्तेमाल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के मामले में वाहनों को वर्तमान परिवेश से लगभग 85 प्रतिशत अधिक कुशल व कारगर बना सकता है।

बात करें इसकी उत्पादन की तो इसका भी समाधान हमारे पास बखूबी है। 2022 से वार्षिक आधार पर लगभग 34,340 गैलन ईंधन का उत्पादन वर्तमान में किया जाने की क्षमता हमारे पास है। वही बात करें तो वर्ष 2026 तक इसके उत्पाद को सालाना 145.3 मिलियन गैलन तक बढ़ाया जा सकता है। आइये हम अब जानते हैं सिंथेटिक ई-ईंधन की चुनौतियों की बारे में, Synthetic e-fuel के क्या क्या चैलेंजेज हो सकते हैं।

यह भी पढ़ें: इलेक्ट्रिक व्हीकल्स खरीदने के टैक्स बेनिफिट्स | Tax Benefits Of Buying Electric Vehicles


सिंथेटिक ई-ईंधन चुनौतियाँ | (Challenges of Synthetic e-fuel)

अब इतनी जानकारी मिलने के बाद आपको भी लग रहा होगा कि Synthetic e-fuel (सिंथेटिक ई-ईंधन) सही में काफी आकर्षक है। पर ऐसा सच हो ये कोई जरूरी तो नहीं है ना Synthetic e-fuel (सिंथेटिक ई-ईंधन) की अपनी कुछ कमियां और चुनौतियां भी है जो हमें ध्यान में रखना पड़ेगा।

What are the Challenges of Synthetic e-fuel?

  • वर्तमान समय में एक लीटर Synthetic e-fuel (सिंथेटिक ई-ईंधन) की कीमत यूएस में लगभग $10 प्रति लीटर है लेकिन इस $2 तक आने की उम्मीद है। वही नार्मल जीवाश्म ईंधन की बात करें तो एक लीटर पेट्रोल की कीमत एक डॉलर के आस पास होती है।
  • हाइड्रोजन को कार्बन डाइऑक्साइड को फ्यूज़न कराने में के बहुतायत मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इस पूरी प्रक्रिया में कई सारे चरण शामिल होते हैं और सबमें ऊर्जा का इस्तेमाल तो होगा ही। अर्थात इसकी कुल लागत को भी इसी में शामिल किया जाएगा।
  • शोधकर्ताओं की मानें तो हाइड्रोजन भविष्य का ईंधन है। लेकिन हाइड्रोजन के भंडारण और परिवहन की समस्या इसमें किसी भी तरह के बदलाव को काफी हद तक बाधित कर सकती है।
  • हाइड्रोजन का रख रखाव भी काफी मुश्किल है। इसे अत्यधिक ठंडे तापमान पर संग्रहित किया जाता है ताकि यह अपने आप फट न जाए। अर्थात इसका रख रखाव में भी उच्च मात्रा में ऊर्जा का खपत होता है।

तो दोस्तों ये थे कुछ प्रमुख पहलू जिसके कारण शोधकर्ताओं का ये मानना है कि Synthetic e-fuel (सिंथेटिक ई-ईंधन) ही एकलौता हमारी लगातार बढ़ती समस्याओं का कारण नहीं हो सकता, इसका वैकल्पिक भी हमें ढूंढना ही होगा।

यह भी पढ़ें: बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी क्या है | Battery Swapping Policy In Hindi


अन्य इलेक्ट्रो ईंधन (Others Electro e-fuel)

सिंथेटिक ई-ईंधन के अलावा भी हमारे पास कुछ और विकल्प उपलब्ध है जिसके ऊपर शोध अभी लगातार जारी है। नीचे कुछ इसी प्रकार के ई-ईंधन के बारे में बताया गया है।

  • ऑडी (Audi) ई-गैसोलीन सिंथेटिक ईंधन (e-gasoline Synthetic Fuel) पर काम कर रही है। यह एक तरल आइसो ऑक्टेन ईंधन (iso-Octane Fuel)है। यह एक कार्बन-तटस्थ ईंधन है। इसके अलावा, ई-गैसोलीन सल्फर और बेंजीन से पूरी तरह से मुक्त है।
  • ऑडी ई-डीजल पर भी अपनी काम लगातार कर रही है। दरअसल ई-डीजल को सिंथेटिक डीजल (Synthetic Diesel) भी कहा जाता है। इसे अक्षय ऊर्जा द्वारा संचालित एक प्रक्रिया के साथ कार्बन डाइऑक्साइड, बिजली और पानी से मिलाकर बनाया जाता है।

दुनिया का पहला ‘इनोवेशन’: (First Innovation on Synthetic e-fuel)

आपको बता दें कि यह पूरी दुनिया में इस तरह का का पहला ‘इनोवेशन’ है। इस माना जा रहा है कि ब्रिटेन को साल 2050 तक अपने जीरो कार्बन एमिशन मिशन को पूरा करने में सहयोग करेगा। इसके अलावा एविएशन इंडस्ट्री ग्रीनहाउस गैसों के सबसे ज्यादा उत्सृजन के लिए जिम्मेदार इंडस्ट्रीज को ही बताया गया है।

अतः अब हमें इंडस्ट्री को ख्याल में रखते हुए और पर्यावरण के अनुकूल रहते हुए कम प्रदूषण वाले ईंधन को बनाना है। दूसरी तरफ RAF की यह योजना है कि वे 2025 तक अपना पहला नेट जीरो एयरबेस पूर्ण रूप से स्थापित कर लेंगे।


यह भी पढ़ें:


Frequently Asked Questions (FAQs)

Q1. सिंथेटिक ई-ईंधन क्या है?

Ans: Synthetic e-fuel (सिंथेटिक ई-ईंधन) वह उत्पाद है जिसे वायुमंडल में उपलब्ध कार्बन डाइऑक्साइड अणुओं के साथ ईलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया से प्राप्त हाइड्रोजन से मिश्रण किया जाता है।
इसके बाद एविएशन केरोसिन जैसा सिंथेटिक फ्यूल तैयार होते हैं जिसे हम अपने वाहनों के लिए ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।

Q2. सिंथेटिक ई-ईंधन कैसे बनता है?

Ans: सिंथेटिक ई-ईंधन का बनना बहुत ही जटिल प्रक्रिया है। सिंथेटिक UL91 फ्यूल को सबसे पहले जीरो पेट्रोलियम के पानी से हाइड्रोजन और वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड से कार्बन तैयार किया गया था।

इसके बाद उसमें कुछ संसोधन किया गया और फिर नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत जैसे हवा, सौर ऊर्जा की मदद से भी हाइड्रोजन और कार्बन को मिलाकर सिंथेटिक फ्यूल तैयार किया जाने लगा।

Q3. सिंथेटिक ई-ईंधन चुनौतियाँ क्या-क्या है?

Ans: Synthetic e-fuel (सिंथेटिक ई-ईंधन) की अपनी कुछ कमियां और चुनौतियां भी है जो हमें ध्यान में रखना पड़ेगा, वर्तमान समय में एक लीटर Synthetic e-fuel (सिंथेटिक ई-ईंधन) की कीमत यूएस में लगभग $10 प्रति लीटर है. हाइड्रोजन को कार्बन डाइऑक्साइड को फ्यूज़न कराने में के बहुतायत मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है। हाइड्रोजन का रख रखाव भी काफी मुश्किल है।


निष्कर्ष (Conclusion)

सारी बातों को गौर करें तो यह तो बिल्कुल स्पष्ट संकेत है कि Synthetic e-fuel (सिंथेटिक ई-ईंधन) को बनाने में चाहे कितनी भी महत्वपूर्ण बाधाएं क्यों न हों। आगे फ्यूचर में ऑटोमोबाइल बाजारों के प्रमुख खिलाड़ी इसे ईवी (Electric Vehicle) के विकल्प के रूप में गंभीरता से लेने वाले हैं।

आशा करता हूँ आप सभी पाठकों को हमारा यह पोस्ट सिंथेटिक ई-ईंधन क्या है | What is synthetic e-fuel in Hindi काफी हद तक पसंद आया होगा। इसके माध्यम से हमने टॉपिक से जुड़ी सटीक जानकारी आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास किया है।

यदि इस पोस्ट में किसी भी प्रकार का कोई त्रुटि हो तो आप हमसे संपर्क जरूर करें। इसके अलावा आप अपनी राय और सुझाव भी हमें कमेंट करके दे सकते हैं।

धन्यवाद:)

🔥  Whatsapp Group👉 यहाँ क्लिक करे
🔥 Telegram Group👉 यहाँ क्लिक करे
🔥Facebook Page👉 यहाँ क्लिक करे
🔥Instagram Account👉 यहाँ क्लिक करे
🔥Home Page 👉 यहाँ क्लिक करे

संकल्प करें, इलेक्ट्रिक चुनें

Rahul hails from Patna, Bihar, and is a highly driven individual with a background in Computer Science Engineering. He is a passionate blogger, known for his profound enthusiasm for automobiles, particularly electric vehicles (EVs). As the founder of the blog "Ecovahan," Rahul shares his knowledge and insights on the world of sustainable transportation and cutting-edge automotive technology. Contact [email protected]

Leave a Comment